केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी तथा राज्य मंत्री (कोयला एवं खान) श्री सतीश चंद्र दुबे ने S&T PRISM योजना के अंतर्गत कुल ₹12.37 करोड़ की परियोजना स्वीकृति-पत्र 10 स्टार्टअप्स / एमएसएमई को प्रदान किए।
यह खनन मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य स्टार्टअप्स, एमएसएमई एवं व्यक्तिगत नवप्रवर्तकों को 2 वर्ष तक की अवधि वाली परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहित करना है। ये परियोजनाएँ खनिज और धातु क्षेत्र, खनन, धातुकर्म एवं औद्योगिक अनुप्रयोगों के व्यावहारिक एवं सतत पहलुओं से सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं।
यह अनुदान उन्हें उस स्तर तक पहुँचाने में सहायक होगा, जहाँ वे एंजल/वेंचर कैपिटल निवेश आकर्षित कर सकें या फिर वाणिज्यिक बैंकों/वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने की स्थिति में आ सकें। यह फंडिंग विकास और व्यवसायीकरण के बीच सेतु का कार्य करेगी, जिससे नई तकनीकों/उत्पादों/सेवाओं को सरल एवं प्रभावी ढंग से बाजार तक पहुँचाया जा सके।
जेएनएआरडीडीसी (JNARDDC) ने इस योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने प्रस्तावों का मूल्यांकन कर अंतिम परियोजनाओं को स्वीकृति दिलाई।
खनिज संसाधनों के सुरक्षित, किफायती, तीव्र और दक्ष दोहन तथा उन्हें आर्थिक दृष्टि से व्यवहार्य मिश्र धातुओं और धातुओं में परिवर्तित करने के महत्व को देखते हुए, भारत सरकार के खान मंत्रालय ने 1978 से ही खनन और धातुकर्म क्षेत्र के अनेक अनुसंधान संस्थानों की R&D परियोजनाओं को वित्तपोषित किया है।
इसी क्रम में माननीय मंत्री ने ₹11.26 करोड़ की कुल लागत वाले 24 अनुसंधान परियोजनाएँ प्रमुख अनुसंधान संस्थानों जैसे आईआईटी, आईआईएससी, एनआईटी, आईएसएम, सीएसआईआर प्रयोगशालाएँ, जेएनएआरडीडीसी आदि को प्रदान कीं।
यह कार्यक्रम स्कोप कन्वेंशन सेंटर, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, प्रगति विहार, नई दिल्ली में आयोजित किया गया, जिसमें श्री वी. एल. कंठा राव, सचिव (खनन), श्री संजय लोहीया, अतिरिक्त सचिव (खनन) एवं डॉ. अनुपम अग्निहोत्री, निदेशक, जेएनएआरडीडीसी भी उपस्थित थे।
ये परियोजनाएँ TRL 3 से 7 स्तर तक को लक्षित करती हैं और इनके सफल परिणाम खनन क्षेत्र द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों का समाधान करेंगे। विशेष रूप से, इनका फोकस रणनीतिक क्रिटिकल मिनरल्स, रेयर अर्थ एलिमेंट्स, धातुओं, भूविज्ञान और अन्वेषण, डिकार्बोनाइजेशन पर रहेगा। साथ ही यह गैर-लौह धातु खंड में परिपत्र अर्थव्यवस्था और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देने हेतु औद्योगिक अपशिष्टों के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहित करेगा।